जे वीर लड़्या धरती सारू, ई माटी राजस्थान नी।
धन्य-धन्य माताअें अेणं नी, धन्य वीर संतान नी।
आयं रांगड़ा लड़े ने कापे,
वेरियं ना जेम भूरा।
राब रोटी खाई फरें आ
जीवड़ा मन ना भूरा।
आ माटी तमें लगाड़ो, जन-जन ने कल्याण नी।
धन्य-धन्य माताअें अेणं नी, धन्य वीर संतान नी।
आजादी नी अलख जगाड़ी,
प्राण निछावर कीथा।
काली बाई नुं गुरु ज्ञान मयं,
प्राण बचावी लीधा।
धन्य-धन्य माताअें अेणं नी, धन्य वीर संतान नी।
वागड़ मांय वखाणीजे
मावजी नी गाथा,
आगम वाणी खरी करी
बेणेस् वर टेको माथा,
सत्य भूमि आ प्रेम भूमि, ने धरती नं भगवान नी।
धन्य-धन्य माताअें अेणं नी, धन्य वीर संतान नी।
राणा प्रताप हल्दीघाटी,
आ चेतक न्हें भुलाये।
वन-वन भटकी चार
ना रोटली, बलाडु खाये।
आ माटी नुं तिलक करूं, ने अगवाणी मेहमान नी।
धन्य-धन्य माताअें अेणं नी, धन्य वीर संतान नी।
क्षेत्रपाल, खोरेश्वर धरती ने
आ मोरन नी धारा।
गौरेश्वर, संगमेश्वर,
शीतला वागड़धाम अमारा।
नाथू दादा! ना कर्मपुण्य अन्नक्षेत्र अने दान नी।
धन्य-धन्य माताअें अेणं नी, धन्य वीर संतान नी।