रात चांदणी धोरां धरती, सोनो ज्यूं बरसावै
चावळियां पर चांद चीगणो रूपां रूप सरावै
बाळा ओळा, दोळा भोळा दादी बात सुणावै
सुणज्जे, गुणज्जे बात बावळा रातडली ढळ ज्यावै
धूळकोट पर हरी हताई बाबो बातां छावै
छाप लगावै छपना पली रंग पुराणा ल्यावै
सुख रै साग बाथ भर्योडी गीत सुरगां गावै
मीठा बोलै बोल मोरियां धरती नाचै गावै
चौबारै में बैठ गोरडी गीता धीक लगावै
नेह निचोई, रात भिजोई हिवडै हूक जगावै
रंग रा आगण छोड डोकरी भजन भाव में जावै
नारायण रै नेडी पेटी हर-गुण गाय लगावै
तंदूरां री तान सुणीजै झीका बाजै झीणां
भजन बावळा बोल वाणी च्यार दिनां जग जीणां
गाव गवाडां टाबर भेळा मांड कवडी पाळा
दूधा धोई रात चादणी कुण कुण खेलण वाळा
ठंडी रातां इमरत बरसै, अळगोजा री टेर
मधुरो मधुरो बायरो हरजी। मुरधर दीजे फेर
ऊट चढ्योडा गण घालता ‘गारवद’ गूथ, गावै
‘काछबियो’ सरवरिया तीरा पिणियारी’ बतळावै
बोल बटाऊ बायरियै बळ ‘बायरियो’ कुण गावै
मारगियै कुण मुधरी चाल ‘मूमल’ रूप सरावै
धोरां धोरां राग उगेर, रामू चनणा गावै
ढोला मरवण एक हियै बण, ऊंट पिलाण्या जावै
बर मूधा मागण री बेळा मागू मुरधर रैण
मुलमुल धोरां रेत रंगीली ठंडी रातां रैण।