जग चावौ मरुधरियौ, म्हानै तो लागै प्यारौ,

मन बसियौ मरुधरियौ, म्हानै तो लागै प्यारौ।

मीरा जन्मी मेड़तै रै, गढ़ पूंगल परणाई,

राणा जी रौ छौड़ रावळौ, भगती जोत जगाई,

मीरा नाची मिन्दर में, म्हारौ तौ मुरली वाळौ।

मैवाड़ी मन रह्यौ ऊजळौ, राखी ऊंची सान,

हळदी घाटी हाक सुणावै, झेल्या रण तूफान,

दिवलौ चमक्यौ राणा रौ, आकासौ ऊंचौ तारौ।

पन्ना मायड़ जळमी, अगनी पदमण कियौ सिनान,

हाड़ी राणी दै दियौ रै, सीस कटाय निसान,

कण-कण सींच्यौ माटी रौ, लौही सूं तलवारौ।

मैणत सूं मौती निण्जावै, करसण करणौ काम,

नैकी सूं नित करम कमाई, दरसण दै भगवान,

तीरथ मोटौ पुसकरजी, मैळो तो लागे भगतां रौ।

जग चावौ मरुधरियौ, म्हानै तो लागे प्यारौ,

मन बसियौ मरुधरियौ, म्हानै तो लागै प्यारौ।

स्रोत
  • पोथी : इन्दर नै ओळभौ ,
  • सिरजक : अमर सिंह राजपुरोहित ,
  • प्रकाशक : रुचिर प्रकाशन
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