चांद थाळी में दिखासी आपनै।

फैर पूरा निगळ जासी आपनै।

झूंपड़ी में जोत दिवलै री बूझा।

रीत मैलां री सिखासी आपनै।

वोट री सौगात आंनै सूंपद्‌यो।

सै’त सा सुपनां चटासी आपनै।

अेक बर संसद में पूगै तो सरी।

मुद्दतां तक याद आसी आपनै।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 5 ,
  • सिरजक : जनकराज पारीक ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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