अबार-अबार म्हैं लोई देवतां
कैई मोट्यारां नै देख्या हा
अबार-अबार म्हैं घणकरा टाबरां नै मुलकता देख्या हा
अबार-अबार म्हैं देख्यौ कै घणकरा लोग
कीड़ीनगरौ सींच रह्या है
ढोर-डांगराँ नै चारौ देय रैया है
अक्खड़ कूकरां नै दूध-रोटी खवाय रह्या है
अबार ई छोरा-छोरी उड़ीक रह्या है
सुणण सारू एक सबद-परेम रौ
अबार ई टाबर दादी-नानी सूं सुणणी चावै कहाणी
अबार ई लुगायां हंस रैई है
अबार ई छोरियाँ रात पाली री नौकरी माथै जाय रैई है
अबार सैं कीं खतम कोनी होयौ धरती माथे
अबै कोई मन छोटौ मति करजौ
उदास मति हुयजौ
बिस्वास मत खोइजौ
उजाळै सूं भरणौ है हरेक अंधारौ खूंणौ...!