नभ र आचळ में
लुळ झूम-झूम
दो च्यार बेर
तम री छाती चीर
दामणी फेर
कळायण में रवै है
मिल जावै पथ
कांटा रो पथ
उतर्यो सो मन
बढता सा डग
पलका रो धण-बोझ
वेदना सवै है
सुख रो अतर
दुख रो अतर
भ्रमै काळ रो
चक निरतर
काळी राता री, भोर
कथा स्वय कैवै है
तडप री, अलवेली सी बात
प्रीत री तरसाणै री जात
पुसप भवरा रा आसू पी
खिलावै अपणो सुदर गात
भवरा मधु तरसावै जी
प्रीत करुणा मे बैवै है।