कजळायग्यौ
सुरंगौ रूंख
खितिज री
तिसणां में—
लाम्बी तिरेड़!
दिन भर री बातां रौ औ निंवेड़....
कै अेक सैकिल
दोय पैडल
दोय पग
दोय हाथ
अर सैंसर फौड़ा....
जीवण री थाक्यौड़ी 'चेन' सूं
बंधियौड़ा!