बाबू सा थारा आँगणा री
घणी हर आवै।
वा मायड़ री गोदयाँ
वो बीरा रौ परेम
हेलियाँ रै सागै खेलणौ
घणी हर आवै बालपणा री।
बरखा माय भिगणौ
वा कागद री नाव चलाणी
उछलबौ कुदबौ छूटग्यौ
छुप्पा छुप्पी खेलणौ
घणी हर आवै बालपणा री।
खो गिया सावण रा झूला।
जाणे कदयाँ उमर रौ आम बौरा गियौ।
म्हारा हाथां सूँ बालपणौ छूट गियौ।