होळै-होळै

डांडी चालतो,

रैवै डांडी सूं अणजाण

किनारै-किनारै चालै

पण है वो अणजाण

कोनीं जाणै कै

कठै टिब्बां,

जिनावर मिलसी

कठै ढाणी,

कठै पाणी मिलसी?

होळै-होळै

डांडी चालतो

रैवै डांडी सूं अणजाण!

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : सतीश छिम्पा ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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