चोखो भाई चोखो
औ जगत जोरको मौको
अठै दुबले की डांग फाड़द्'ये
लांठै हाळो डोको
अरे चोखो भाई चोखो
औ जगत जोर को मौकों
ठग ठाकर बणियोड़ा बैठा बोले उल्टी बाणी
खाड खाबड़ा खाली रैहगा डूंगर चढगा पाणी
भोळा डाला करता चाळा मीर मारगा सारा
जो खुद ने होशियार समझता मार्'या फिरे बिचारा
सब मन में रैगो धोखो
अठै दुबले की डांग फाड़द्'ये
लांठै हाळो डोको
अरे चोखो भाई चोखो
औ जगत जोर को मौको
परण्यो खा'र पिलंग पर पौडे फूटी फळी न फोड़े
सब धरती रो भार उठायां रांडया रात्यु दौड़े
घर घर साच पूछता डोले सारे जग सूँ झूठा
बण्या पढ्या बहियाँ में चेपे फिर फिर रोज अंगूठा
कोई रोक सको तो रोको
अठै दुबले की डांग फाड़द्'ये
लांठै हाळो डोको
अरे चोखो भाई चोखो
औ जगत जोर को मौको
पासो देख पंचायत पलटे झूठी घाले डायाँ
पीड़ मिटावण ने आयी बै पेट फोड़गी दायाँ
खुद का ठौड़ ठीकाना पूछे फिरे बण्योड़ा पागी
एक अचंभो ऐसो देख्यो बाड़ खेत ने खागी
और चिणा चाबगो बौखो
अठै दुबले की डांग फाड़द्'ये
लांठै हाळो डोको
अरे चोखो भाई चोखो
औ जगत जोर को मौको
बूढो बाप मजूरी जावे बेटा बैठा पौळा
कोजा काम अड़ी में आया उजळा निकल्या मोळा
काया सूख कामड़ी हुगी नाँव पड़ायो फूली
बीती बात याद है सारी गुण भूली तो भूली
औ जग है बड़ो अनोखो
अठै दुबले की डांग फाड़द्'ये
लांठै हाळो डोको
अरे चोखो भाई चोखो
औ जगत जोर को मौको