जोग लिखी
घाबरिये गांव सूं
भूरै का रूधै नै राम-राम बंचना।
चिट्ठी थारी
लारलै दिनां मिली,
थूं पूछ्यो कै
गांव रा कांई हालचाल है
आं दिनां गांव मांय
बियां ई गिंगरथ
अर झोड़-झपाड़
हुय रैया है, जियां कै
थारै टेम होंवता
फरक इत्तो ई है कै
उण टेम लड़ाई री बन्दूक
थारै कांधै ही,
अबै बा बन्दूक
मेल दी है लोगां
म्हारै कांधै
बोदिए खेत री
डांडी रो झोड़
रूघलै रै बाडै री
राड़ बियां ई चालै
गांव री टेकरी
करवाय रैयी है
जौड़े री पाळ री लड़ाई,
अर म्है सगळा
बिना जबान रा
एक दूजै ने सै'ण
करता-करता
दापलीज रैया हां।
बियां गांव बढ़ को बठै ई है
जठै यूं छोड’र गयो हो,
पण
आजकाल गांव
शहर मांय जाय'र
न्याय री ताकड़ी आगै
खड़यो रैवे आखौ दिन
अर ताकड़ी
जिण नै भावै ई नी है।
गांव मांय
रोडू अर बदरी री
पार्टीबाजी बीयां ईं चालै
जीयां थारै थकां चालती
फरक ईत्तो ई है कै
बदरी अबकै मांय है
अर रोडू बारै मलरका करै
थूं बठै कलकत्ते मांय
राजी-खुशी हुयसी
क्यूं कै कलकत्ते मांय
गांव दाई
पार्टीबाजी नी है।