आंगणियै उच्छब जोर जचै,
बाजै है ढोलक ताळ लियां।
मंगळ गावै है काकीसा,
बूआसा डोलै थाळ लियां॥
राणौ जी ढोलक पुजवायौ,
बनड़ी रै कंवळे हाथां सूं।
नाई नै जरणी समझावै,
नूता पातां री बातां सूं॥
सुभ बान बिठावण सामगरी,
बाबोसा बैठा मांड रिया।
पिंडत जी बान बिठावण रौ,
सुभ सरेस्ठ मूरथ काढ रिया॥
गितेरणियां बनड्यां गावै,
गुड़ धणौ बंटावै दादीसा।
सिणगार सज्योड़ा काम करै,
बनड़ी रा काचा भाभीसा॥
कंदोई सागै दादोसा,
जाजम जचिया बतळावै है।
बीरोसा सागै काकोसा,
झटपट कारज सलटावै है॥
बनड़ी बैठी बैनड़ सागै,
मनड़ै री बात बतावै जी।
उळझाट घणोड़ी अंतस मह,
लाडल आंख्यां भर लावै जी॥
पिवजी रौ कोड घणेरौ है,
पण पीवर किणबिध छूटेलौ।
जीजीबाई थां जतन करौ,
औ जीव अणूतौ घूटेलौ॥
लाडल नै समझावै बैनड़,
आ रीत रचेड़ी बडकां री।
धीवड़ नै रीत निभांणी है,
अर आब राखणी घरकां री॥
अब रात हुयी पोढ्या सगळा,
थाकेलौ नींद अणायी जी।
पण उथल पुथल लाडल रै मन,
नैणां नह नींद समायी जी॥
बाबोसा मोटी म्हनै करी,
काळजियै कोर बणायी रे।
करजै रै साटे डीकर नै,
इस्कुल कोलेज भणाई रे॥
हम करजौ भेर करेला जी,
लाडल नै परणांवण तांई।
घर धुपसी बाबोसा वाळौ,
बेटी जाया है पाप कांई॥
सोचतड़ी चिंत्या करती नै,
रातड़ली मांझल होय गयी।
आ रैण कढी नैणां मांही,
सूरज उगियौ अर भोर भयी॥
दिन उगियौ ढोल ढमाका सूं,
हम बान बैठसी आ बनड़ी।
मां बाप मनावै गजापती,
अंतस उळझेड़ी लाडलड़ी॥
कळपै है मन मह जोर घणा,
बाबोसा लाडल जोवतड़ा।
देखो रै नैण झुकाय लिया,
बाबोसा नीर लकोवतड़ा॥
घूंघट मह जरणी रोय रही,
हम बेग बिछोवा घलसी जी।
बेटी जावैली सासरियै,
उण बेळा जिवड़ौ हलसी जी॥
जोसी जी बान बिठाय दियौ,
लाडल रै पीठी चढसी जी।
हळदी रौ रंग चढ्यां बनड़ी,
काची गोरी सी कढसी जी॥
बनड़ी चाली जी बामण घर,
आंथण नै सखियां रै सागै।
बामण बंदोरी जीम लयी,
चाली बनड़ी सब रै आगै॥
बीरोसा चनवौ तांण खड़ा,
लाडल चनवै री छायां मह।
आ छांव राखजै बीर सदा,
बैनड़ चाली बिच भायां मह॥
आंगणियै घूमर जोर घलै,
पोळी मह ढोलक बाज रियौ।
काकी भाभी सह नाचै है,
सिणगार घणेरौ साज रियौ॥
रातड़ली आई मेंदी री,
बनड़ी रा दोन्यूं हाथ रच्या।
अर धवळ वरण गोरा पुंणचा,
रातै रंग रै साथ जच्या॥
निजर्यां बाबोसा री छायी,
लाडल रै भोळै उणियारै।
थूं चांनणियौ है आंगण रौ,
सूनी थां बिन आ बगिया रे॥
मायड़ रै नैणां मह पांणी,
कद बडी हुयी थूं धीवड़ली।
आंगणियै गुडियां रमती ही,
हंसतोड़ी म्हारी बीबड़ली॥
दादोसा केवै भाभू नै,
वायरियौ किणबिध टेम बण्यौ।
ठमकतड़ी फिरती अठै बठै,
बो समौ पलक छिन जेम बण्यौ॥
सगळै घरकां रै नैणां मह,
बित्योड़ी बातां घिरै फिरै।
आणंद संग उदियासी सी,
आंसू आंख्यां सूं आय खिरै॥
परभात हुयौ सूरज उगियौ,
भतियां री जोवै वाटड़ली।
मामोसा आसी लाडल रा,
मायड़ रै लासी चूनड़ली॥
मायड़ सिणगार करै सोळा,
बीरै रौ मारग जोय रही।
पळकौ पड़ियौ जद भाई रौ,
हिवड़ै मह हरखित होय रही॥
बीरोसा पोळी आय खड़ा,
टीकै है जामण री जायी।
सिर हाथ धर्यौ निज बैनड़ रै,
बीरोसा चूनड़ ओढायी॥
वाजै है ढोल धड़ाकै सूं,
बैनड़ टीकै है भायां नै।
भावज बैनां नै टीक लिया,
टीकै भायां रै जायां नै॥
जूंहारी रौ दस्तूर थयौ,
काकीसा बीरौ गावै है।
मँगधण रै सागै चाक भात,
गायौड़ी रीत निभावै है॥
जोसी जी आया आंगण मह,
बोल्या अब थाम रुपेलौ सा।
जजमान बिराजौ आय अठै,
मोटौ दसतूर हुवैलौ सा॥
बनड़ी नै बुलवावौ सागै,
गोद्या मां बाप बिठायौ सा।
किन्यावळ कुण कुण करसी जी,
रीतड़ली धरम निभावौ सा॥
गोदी मह बैठी बनड़ी रै,
हुल्ल्या सा कठै मनड़ै मह।
बाबोसा माथै हाथ धर्यौ,
उमटाव मात रै जिवड़ै मह॥
मायड़ निरखै झरती अंखियां,
लाडकड़ी सासर जावैली।
थूं जलम्यां पेट हुयौ खाली,
अब घर रीतौ कर जावैली॥
लाडल जासी निज घर कांनी,
बाबळ मन मह हरसाया हा।
पण अेक बात अंतस आयी,
आंख्या आंसू बरसाया हा॥
आंगणियौ चहकै आज घणौ,
आ आज चिड़कली अठै उड़ै।
बा काल परायी हो जासी,
नैणां मोतीड़ा सोच गुड़ै॥
बैनड़ रौ मूंडौ ओदरियौ,
कुण काल चौक मह फरसी जी।
सासरियै सूं जद आवूंली,
कुण भाज बाथ मह भरसी जी॥
बीरोसा कँवळै लारै सूं,
बैनड़ नै छांनै जोवै है।
कुण राड़ करैली अब म्हासूं,
आ सोच हियौ घण रोवै है॥
दादोसा धूजै ड्योढी मह,
कुण काल चिलम पकड़ासी रे।
सांवरिया कैड़ी रीत रची,
ज्यू काळजियौ कढ जासी रे॥
काकोसा बीरोसा सागै,
भाज्या बेवै अर काम करै।
दादोसा कोटड़ियां बैठा,
बाबोसा रै कर दाम धेरै॥
लाडल री जान जदै आवै,
कीं कसर राखणी कोनी जी।
मनवार जनेत्यां री करजौ,
विदगां कीं चूक न होणी जी॥
समटूणी सजगी बाखळ मह,
भाभू दादोसा जोय रिया।
कीं मीन मेख तौ कोनी जी,
दोन्यूं हरखित घण होय रिया॥
मायड़ कैवै बाबोसा नै,
लाडल रै कसर रखीजौ ना।
आपां घाटा मह जी लेस्यां,
थां 'कर' काठौ कर लीजौ ना॥
बाबोसा केवै बात सुणौ,
काळजियै वाळी कोर तणौ।
मूं खुद बिक जासूं आज भलां,
थां करौ बात रौ गौर घणौ॥
बंदूक छुटी कांकड़ मांही,
रिव रै पिच्छम जातां सागै।
बारात आयगी बनड़ी री,
नाई आयौ आगै आगै॥
बाराती जनवासै आया,
जळपान करायौ मांडैती।
सामळै हाल्या बन्नासा,
घोड़ी रै लारै जानेती॥
गूवाड़ां बीच मह सामेळौ,
बर गादी उपरै जोर जमै।
दादोसा तिलक करै हरखै,
अर आणंद चहूंओर रमै॥
सुवरण डोरौ दादोसा अब,
पेरायौ बर रै गळ मांही।
सोनै री बींटी बाबोसा,
पेराय दयी आंगळ मांही॥
दादोसा नोटां री थाळी,
बन्ना रै सांमी कर दीनी।
दस लाख रिप्यां रौ टीकौ है,
बाबोसा आंख्या भर लीनी॥
'कर' जोड़ कहे बनसा सुणजौ,
डोरौ बींटी मूं राख धरूं।
दस्तूर तिहारी आब रखुं,
अब सादर थांनै अरज करूं॥
नोटां रै साटै बिक जाऊं,
अैड़ौ तौ मायड़ नह जायौ।
क्यूं कुरीतड़ली पाळौ सा...?
औ थाळ तौ अँतस नह भायौ॥
म्हैं तौ लिछमी लेवण आयौ,
इत म्हारौ मोल लगाऊं क्यूं..?
निज घर मह बेनड़ बैठी है,
करजै रै मांय डबाऊं क्यूं...?
दादोसा केह सिरदार सुणौ,
थां राज नौकरी चढियोड़ा।
टीकौ टमकौ तौ सूण हुवै,
इतरा तौ म्हैं भी पढियोड़ा॥
टाबरपणियै मह जोस घणौ,
बाबोसा सूं बतळावौ सा।
सग्गौ सा आप पधारौ सा,
बन्ना सा नै समझावौ सा॥
बनसा रा बाबोसा आया,
पग पकड़ लिया दादोसा रा।
मूं तौ हूं बाळकियौ भोळौ,
थां मायत सिरसा हौ म्हारा॥
काळजियै रौ टुकड़ौ थांरौ,
कांई धन धीवड़ सूं मोटौ।
थां दानी हौ महदानी हौ,
मूं याचक अधनौ हूं छोटौ॥
लाडल रा दादोसा हरखै,
आंख्यां भरगी बाबोसा री।
बड़भागण म्हारी लाडकड़ी,
चवड़ी छतियां काकोसा री॥
सामेळौ व्हैगौ हँसी खुसी,
सोरी सांसां ली बाबोसा।
धिनवाद करै कुळदेवी रौ,
कांधै 'कर' मेल्यौ काकोसा॥
तोरणियै बनसा आय गिया,
सासूजी झिळमिळ हाथ लियां।
टीकौ तो काढ्यौ लांबौ सो,
काकीसा जा गळबाथ मिल्या॥
भाभीसा कांच दिखावतड़ा,
मसखरी करै काकी मामी।
बनसा मदरा सा मुळकै है,
संकता न निजर करै सामी॥
बनड़ै रा बाबोसा आया,
बाखळ मह जोगी समटूंणी।
सग्गोसा सूं कर जोड़ कह्यौ,
मूं किमकर भांडू निज जूंणी॥
औ धन दौलत म्हैं नह लेवां,
बणणूं नह पाप तणौ भागी।
मूं हाथ पसार्यां आयौ हूं,
धीवड़ सिरसी दौलत मांगी॥
बाबोसा आंसू लाय कह्यौ,
मूं अरज करूं बिदगां थांनै।
लाडल नै देऊं हिड़दै सूं,
स्वीकार करौ राजी म्हांनै॥
बर रा बाबोसा भैर कह्यौ,
इतरी थां म्हारी मानौ सा।
म्हैं जान जुवांरी लेवां ना,
निज घर आणौ औ टाणौ सा॥
गळ मिलगा दोन्यूं सगा संगा,
दोनां रा मनड़ा मुळकै हा।
हरखित हा दोनूं अंतस मह,
आंख्यां मह आंसू झळकै हा॥
सुसराजी मन में राजी हा,
सासू रौ हिवड़ौ हरखायौ।
वर धीवड़ रौ है चांद जिस्यौ,
सगळां नै दाय घणौ आयौ॥
बरराज बिराज्यां कोटड़ियां,
अर आय जच्या जाजम माथै।
बतळावै है मुसकावै है,
बनड़ी रै जीजोसा साथै॥
बनड़ी नै आंगण मह ल्याया,
लाडल रै छोळ घालसी जी।
जीजा पाटै पर बैठायी,
गीतां री रीत पाळसी जी॥
बाबोसा मां बीरा भाभी,
भूआ फूफोसा रै सागै।
मासी मासा जीजी जीजा,
काकीसा काकोसा सागै॥
सब छोळ घलावै लाडो रै,
ढप ढोलक गीत सुणावै है।
जोसी जी भी अब आय गिया,
चँवरी पिंडत बणवावै है॥
बनड़ी न्हाई अर पाट चढी,
मामोसा नै बुलवाया जी।
मामोसा पाट उतारी जी,
लाडल नै नेग झलाया जी॥
फेरां रौ मुहरत आय गियौ,
जोसी जी बींद बुलाय लियौ।
मंतर बांचै है पिंडत जी,
बर रौ अंतस हुळसाय रियौ॥
औ रूप चुवतड़ौ ढुळतौ सो,
भाभीसा बन्नी सिणगारै।
बाईसा लागै चांद जिसा,
बन्नी सा आय गिया बारै॥
लाडौ नै ल्याया बैनड़ सा,
जोड़ै बर रै बैठाय दिवी।
निरखै बनसा तिरछै नैणां,
बनड़ी मन मह मुसकाय दिवी॥
बाबोसा देखी लाडल नै,
सजियोड़ी फाबै सोनचिड़ी।
हिवड़ै मह उठै हबोळ घणी,
लाडल री उण सूं निजर भिड़ी॥
धीवड़ री आंख्यां भर आई,
बाबोसा थांरौ हेत घणौ।
किमकर तौ जाऊं सासरियै,
कर छोडूं कैंया आप तणौ॥
मायड़ रौ हिवड़ौ फबकै रे,
धीवड़ली हुवै पराई जी।
बैनड़ री पलकां भीज गई,
चल जासी जामण जाई जी॥
बाबोसा आया नेड़ै सी,
बनड़ी रा पीळा हाथ कर्या।
बनसा नै हाथ झलाय दियौ
हथळेवै दोनूं हाथ धर्या॥
फरमाया जोसी जी आगै
मामोसा नै बुलवावौ सा।
सुभ सेवरिया देवण तांई,
बेगा दसतूर करावौ सा॥
सेवरिया दिन्हा मामोसा,
फेरां री बेळा आय गयी।
बीरोसा नै बुलवावौ जी,
भळ सेवरिया पुळ आय गयी॥
बीरोसा दिन्हा सेवरिया,
बनड़ी चाली आगै आगै।
धीमी सी हालै लाडकड़ी,
बनसा मदरा बेवै सागै॥
चौथोड़ै फेरै बन्नासा,
बनड़ी रै आगै आया सा।
संपूरण ब्याव हुयौ हमकै,
बन्नी सा हुया पराया सा॥
बनसा गठजोड़ै सेत चलै,
लाडौ अब लेसी सीखड़ली।
आंख्यां मह आंसू लियां लियां,
काकीसा गावै कोयलड़ी॥
भाज्योड़ी लिपटी मायड़ सूं,
रोवै है मनड़ौ सिसकै है।
कूकै है जोरां काळजियौ,
'कर' झाल्यौ काठौ बुसकै है॥
छाती फाटै है बनड़ी री,
बाबोसा दया बिचारो जी।
मत भेजौ सासरियै म्हानै,
मत आंख्यां आंसू झारौ जी॥
बेनड़ नै बाथां भर लीनी,
मांथा जोड़तड़ी फबकै है।
नह बैण कहीजै मुखड़ै सूं,
हिवड़ौ हूकां भर सुबकै है॥
बीरोसा छाती काठी कर,
बेनड़ नै गळै लगायी जी।
पण जामणजायी जावै है,
सोच्यां आंख्या भर आयी जी॥
दादोसा रौ मनड़ौ काचौ,
पोती सूं मिलणै आवै है।
लाडल देखतड़ा ही चिपगी,
दादोसा नीर बहावै है॥
सगळा निरखै जावतड़ी नै,
लाडेसर गाडी चढगी जी।
खेली ही जिण घर आंगण मह,
बा आज बठै सूं उडगी जी॥
कर जोड़ कहै संतोष सुणौ,
बाबळ रौ बेरी टीकौ है।
मायड़ रौ आंसू टीकौ है,
बीरां रौ बोझौ टीकौ है॥
छाती पर हाथ धर्यां सोचौ,
मजबूरी थां उण बाप तणी।
बरसां तौ पाळी धीवड़ नै,
अब बेटी जांणै पाप बणी॥
पैली बेटी री डिगरी मह,
पूंजी सगळी ही होम दयी।
अब टीकै टमकै रै ओलै,
बेबस री सगळी भोम गयी॥
ना करणौ बेबस बाबळ नै,
कूरीत्यां बेगी मेटौ जी।
टीकै रा लोभी बकरै ज्यूं,
क्यूं बेचौ घर रौ बेटौ जी॥