म्हारा सगला हाशिया में

छोड़या मैं जकां नै

फूटरापै नै बिचारतो थको-

बासो थारो!

सबद रै आगै रो ‘स’

अेक नानी मात्रा

छेकड़ ताल रो अेक बोल-

थारो नांव!

स्रोत
  • पोथी : उतरयो है आभो ,
  • सिरजक : मालचंद तिवाड़ी ,
  • प्रकाशक : कल्पना प्रकाशन बीकानेर
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