मैं कयो

पण वा सुणयो कोनी

अर सगला सबद बावना हुग्या

अरथ आंधां अर आखर गूंगा हुग्या

जिको साखी होवणा हा

वा सगला रा सगला

मसाण हुग्या

इण तरै सगला

मन रा पाठ अधूरा रहग्या

सब बातां हुई

पण वा सुणयो कोनी।

स्रोत
  • सिरजक : रेवंत दान बारहठ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी