छड़ती छड़ियो
दादी...
ढळतै दिन गडाळ री छिंया,
ऊरती लप-लप बाजरी
ऊंखळी रै ऊंडै पेट।
देती हळकै हाथ
छांटा पाणी रा
मूसळ रै घमकै सूं पैलां
चोटै-चोट फिरोळती
कंवळास सूं दाणो-दाणो बाजरी।
हा'रै उकळतो खदबद आंधण
थेपड़ियां रै, छाणां रै ताप
आपो-आप
ऊरती खीचड़ो दादी
जड़िया मोठां री दाळ
छड़ियै रै हेत...
चाठू मुळकतो।