म्हैं उडणी चावूं

इण छेड़ै सूं उण छेड़ै

जठै बाथां भरलै समंदर

इण आभै नै

म्हैं बधणी चावू

इतरौ डीगौ

कै

हाथां सूं तोड़ लूं

तारा

अर भर लूं खूंजौ

म्हैं गमणी चावूं

रळ जाणी चावू

बीज री गळांई

धरती मांय

कै बण सकूं अेक बिरछ

फैल सकूं घेर घुमैर

धरती रै चौफेर

पसार सकूं

हेत री छियां।

स्रोत
  • सिरजक : वाजिद हसन काजी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै