थे कंसळावां रो

लेवो हो सीर

देवो बानै मान

नांव,

मंच

समझां हां म्हे

सो-की

कंसळा लुळ सकै

घसड़ीज सकै

पण सीधा ऊभा नी हुय सकै,

इणीज कारण थे करो

कंसळावां री मान-मनवार

बै गावै थांरा गीत

लुळ जावै थारै साम्ही,

नी देवै होठां पडूत्तर

कंसळा कायम राखै

थारै नांव रो भरम

थारै आगै

खूणीसुदा सलामां री भूख

कंसळा घणा जीवै कोनी।

स्रोत
  • पोथी : अंधारै री उधारी अर रीसाणो चांद ,
  • सिरजक : मोनिका गौड़ ,
  • प्रकाशक : विकास प्रकाशन
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