थे कंसळावां रो
लेवो हो सीर
देवो बानै मान
नांव,
मंच
समझां हां म्हे
सो-की
कंसळा लुळ सकै
घसड़ीज सकै
पण सीधा ऊभा नी हुय सकै,
इणीज कारण थे करो
कंसळावां री मान-मनवार
बै गावै थांरा गीत
लुळ जावै थारै साम्ही,
नी देवै होठां पडूत्तर
कंसळा कायम राखै
थारै नांव रो भरम
थारै आगै
खूणीसुदा सलामां री भूख
कंसळा घणा जीवै ई कोनी।