आओ आपां दु:ख बुणां

स्वेटर री नांई

इच्छावां री भांत निरखां

अर दु:खी होवां

जद दूजै रै स्वेटर में

बेसी रूपाळी भांत दीखै

आओ आपां स्वेटर बुणां

दु:ख री नांई।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : भगवतीलाल व्यास ,
  • संपादक : श्याम महर्षि
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