बाखळ में है बेकळू

बिरखा होंवता

टाबरां साम्हीं परगटै

चूरमै दाई बेकळा

पछै तो बा आवै

टाबरां रै हाथ लाग

ठेट साळ में

साळ में बणन ढूकै

बेटी रै हाथां

उण रै मनभांवता घर।

हाथी-घोड़ा

रेल-मोटर

सगळा चालै साळ में

उण नै पण ठाह नीं

सड़क अर चीलां रो

अणकूंत खरच।

आज तो म्हैं देख्यो

जहाज उड़ावै ही बा

साळ में

दड़ाछंट।

अचाणचक आई

साळ में उड़ती चिड़कली

चांच रा घोचा

तूंप दिया उण

ऊंची छात रै सैंथीर में

म्हनै लखायो

आभो तो है

म्हारी साळ में भी।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 6 ,
  • सिरजक : धनपत स्वामी ,
  • संपादक : Thaar saptak 6
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