देखीभाळी में

या ही होवे हर बार

अंत में जा’र प्यार

जो बतावो करा

सिवराम मास्टरजी—

'चकवा चकवी दो पंछी रहबो करैं मल्लब

ये बिछड़ जावैं तो डकराबो करैं मल्लब’

या चकवा कू कोई ठीक कोन भाया

याकी चकवी कितेक जोर की

डकरायी?

या डकरायी ही भी कै कोन!

स्रोत
  • पोथी : कथेसर ,
  • सिरजक : देवेश पथ सारिया ,
  • संपादक : रामस्वरूप किसान
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