मानखै मानियो है धरम नैं
स्सै सूं मोटो
धरम नै कैयो है
जगत री धूरी
धरम जगत रो आदि सिरजण
धरम बिना है बात अधूरी
पण म्हनैं
कुण बतळासी आज
कै कांई धरम है
वां भूखा रो
जिका फिरै है
गांव गळी कस्बा सहर
सड़कां अर चौरायां माथै
याद कियां तुकबंदी अैड़ी
आसीसां री माळ पोयोड़ी
वा तुकबंदी पण है कविताई
भूखै पेटां वैणसगाई
लियां गरभ नैं फिरै लुगायां
फाटी साड़ी
देह उघाड़ी
काटै जूंण मौत सूं माड़ी
ठंड मांयनै ठरियोयोड़ी
बळती री झाळां बळियोड़ी
भींजियोड़ी मेह में
फाटियोड़ी सगळी चाम
तनड़ै नीं गाभा नीं आभूषण
पण अलंकार है
उण तुकबंदी में
जिकी नैं गावता
रोटी-टुकड़ै नैं टींवता
उभाणा फिरै है मंगता
भूखै पेटां
खाली कोठां
सूखै होठां
काटै जूंण कुतियां सूं दोरी
आभो ओढ़ बिछायां बोरी
फुटपाथां पर जलम्या जाया
भीख लेण नैं टींगर चाल्या
सागै-सागै फिरै मावड़ी
लियां टींगर अेक पेट में
जिण पेट में रति न दाणो
अेक काख में अेक खंदोळयां
च्यार-पांच चौफैर खड़्या है
मुख उदियासी लटक्यो मूंडो
माथै ऊंच रमतिया कूंडो
आगै खुद अर लारै टोळौ
किणरा बै चाबिया काळा
क्यूं होयो ओ दारद दोळौ
लेय कूंडियो टाबर-टोळी
सिगनल माथै मांडी झोळी
सगळा खिंडिया गाडी-गाडी
भूखै पेट आसीसां काढ़ी
जीवण सारू नित रो मरणो
मेटै पेट भूख रो धरणो
मांग-मांग नैं मिटगी लाजां
अब तो आं में सरम नहीं है
धरम हुवै है धन रै पेटै
भूखै पेटां धरम नहीं है।