भरौसे री भैंस

छेकड़ एक दिन

पाडियो लिआई।

बण ल्या'र

धैं पटक्यो गंठड़

मेरै सिर माथै

वादां रो।

रुड़ता रह्या

भिड़ भींता

किचरा किचरा होवंता रह्या

हूं चुगतो रह्यो

खिंडता रह्या आँसू।

पण

जावंतो जावंतो

होळै सी कान मांय चेपग्यो

तेरला तेरला ही चुगी।

हूं

मुळक'र रहग्यो

मेरी भोळप माथै

सोच'र

टूटण खातर ही बण्या हैं।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : कुलदीप पारीक 'दीप' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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