बगत भाठो हुयग्यो

मारै बटीड़ उणनैं

जिको सोच सकै

बोल सकै

झूठ नैं झूठ

अर साच नैं साच।

फूल जैड़ो लागै उणनैं

जिको काळै नैं धोळो

अर धोळै नैं काळो कैवै।

स्रोत
  • पोथी : मन रो सरणाटो ,
  • सिरजक : इरशाद अज़ीज़ ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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