ईनैं पटको अबकै
बौळो चामां चढगौ
नीरौ ई गरबीजग्यौ
कींनै ई बदै कोनी
बापड़ौ ओ ई हुयौ है
नुवों नेतो!
बेसी बोलै लागौ!
बण्यौ फिरै लिखारो!
ईंयालकी किताबां भोत देखी हां
पढ्या ई तो कोनी'क, पोथ्यां न घणीं ई घींस्यां फिरता
अे मोटी-मोटी हुया करती, पण ईंनै देखौ
जाणैं औ ई है बिरमा जी!
कीं आवै न जावै, फिरै खराब हुंतौ, बमंडी मारतौ!
कुण पूछै है ईंनै गांव मं?
कोई जाणैं तो कोनी!
ईंका बाप-दादा ई
लिख्या-पढ्या होग्या
जिकौ औ लिखै!
के बतावां भाया!
गांव मं बैठ्या-बैठ्या ई मरज्यास्यां अेक दिन
औ पढणै-लिखणै कै मिस भाग्यौ तो फिरै है न!
देखै है धरती का धन-भाव!