डर लागै
जद-जद बेटी
पीहर रैवण आवै!
म्हूं नीं पूछूं दिनां री संख्या
पण बा भांप लै
म्हारै मनड़ै री चिंता
अर म्हारै साम्ही मुळकती पड़ूतर देवै
कै-''मा फिकर ना कर, सब राजी है!
म्हैं चार-पांच दिनां मांय
पाछी जाय रैयी हूं!''
जद काळजो ऊंडो भरीज जावै
अर रूंध्यै गळै सूं
अटकता सबद धीरज बंधावै
अर पाछै आंसूड़ा ढळकावै...
ओ ई घर जैई आंसूड़ा
अे ई परिवार रा लोग!
सै सागी...
पण उण सारू नीं बची कोई अठै ठौड़
सोचती रैवूं कद पावणा रो फोन आवै
अर आ राजी-खुसी आपरै टापरै पूग जावै!