....तो
तीन बीसी अ’र
दस लियां बरस ऊपर
झुर्रयां स्यूं झुर्यो मूंडो
ओळख्योड़ो
कळकतै री गळियां अ’र
अकूरड़यां पर
कूड़ै प्यार री बिलखणा-रो
कै...
दुत्कार्योड़ा
कोढ़यां, अपाहिजां’र
दम तोड़ती
डोकरी डोकरां री
दोरी सोरी कोजी सांसा रो
का-भूखै पेटां री
लावारिस आंधी-आंख्या
पिछाण लेवै
जकी नै
हू कुण सकै है
बा
माउ स्यूं-बत्ती
....तो
ओ-नोबेल सान्ति पुरस्कार
बरस
उन्नीस सै उन्यासी रो
जाणै
आसीस ही बरस्या है
सांगोपांग
अपाहिजां लावारिसां रा
कै
पुरस्कार दातरी
बख्शी है-इज्जत
नोबेल भामाशाह ने
का लागै है—
माउ तेरेसा
अ’र
माउ तेरै सी
जाणी अजाणी
सगल्यां रै पगां माथै
मानखी सरधा निमगी
पण-आज
काळजै नै कचोटतो
बात एक-मूडै आई
तो कहद्यूं
हाथ बांध
कै-पुरस्कार
जिकै री चरचा है
बै-बम
सोळह लाख रुपिया
थारी सेवा रो मोळ?
बै है कुण-आंकणिया —?
का—
हूं तो
इत्तो जाणू हूं
जीं रो धणी धोरी कोनी
बा कीड़ा स्यूं-खज्योड़ी
सांस लियां
अबळा
अ’र
गिन्दगी रै ढोळां ळै रै
ओरनाळ जुड़यो
बिलखतै गीगळै रो
गिन्दगी स्यूं सन्यो गात
का
ठाठरी
बीं बूढ़ियै री
तड़फती भूख स्यूं
तो आ कोड़ियां री
कोजी काया
तेरे हाथ रो
सपर्स पा—
जाण्यो है
रोटी अ’र ममता रो-निवाळो
जि’न्नगी मैं पै’ली बार
तो आं मूडां पर
निपजी-इसी तिरपति देख
मौत भो निम’र
छै ड़ै खड़ी हूगी
जोवण लागी
कै—
अ है है है है डैणति,
आ’छो उमड़्यो
तेरै ईं—निरमळ हिरदै मैं
सेवा अ’र सुख रो
ओ सैलाब
कै
धन भारतबासनी
यूगोसळाविया री बेटी
मसीह री करुणा रो रूप
खद्दर री
नीळी किनार री धोती
साक्सात-प्यार बखेरती
थपथपावती
ळूळी पांगळी
जिन्दगी री मगरां नै
गॉड मे ब्लैस यू
तो
माउ तेरेसा
माउ तेरै सी
सांच तो आ है कै—
थे
दया स्यूं—‘नहीं’
सरधा स्यूं चुचकारी है
मानखी पीड़ा
तो-किरतगता
उमड़ी इसी हिवड़ै मांय
खिंडगी सिसटी मैं
तो मोटी बात एक
कै
असहायां अभागां अनाथां री
आंख स्यूं
बेथाक-निसरयौड़ै
आंसुआं री-अेक अेक
बूंद स्यूं
घणोइ घणो छोटो है
ओ थारो
नोबेळ सान्ति पुरस्कार
किळै मैं...?
पौ’रै मैं...?
सेवा खातर…?
का
जीव सोरो हूज्यांवतो
जे अठै आ’र
निरमळ हिरदै मैं
बस्योड़ा रै सामैं-कहदेता
‘धन माउ तेरेसा’
एक बार।
...तो
म्हारै ग्यान मुज़ब
एहसान ले’र
मानवी किस्योइ मर्यो कोनी
अज्यू तक
‘भरम नै जीवां रे भाई’
पण खैर
माउ तेरे सा,
भगवान तनै
तन्दुरस्ती बख्सै
उमर हजारी देवै
तू दूधां नहावै...
तो
परणाम
मां—तेरै सी नै
परणाम
मां तेरेसा।