चेतना मांय

खिंड्योड़ा

घिरणा रा कांकर

रिस्तां पर पड़ी धूड़

भावां पर जमी खंख

बुहार फेंकणी चावै

मन...!

बगत मसौता भी लगाया

फेरूं रैयग्या

कीं निसाण

धोळी लीक में दबयोड़ा।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : मोनिका गौड़ ,
  • प्रकाशक : राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति श्रीडूंगरगढ
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