चेतना मांय
खिंड्योड़ा
घिरणा रा कांकर
रिस्तां पर पड़ी धूड़
भावां पर जमी खंख
बुहार फेंकणी चावै
मन...!
बगत मसौता भी लगाया
फेरूं ई रैयग्या
कीं निसाण
धोळी लीक में दबयोड़ा।