आभै मुळकतो

चमकतो चांद!

घूमर घालतो बायरो...

टिमटिमावता तारा!

चकारा भरती कोचरी

सरसूं री सौरम

कस्सी मोढै लियां करसो,

नहर रै तो

आं री बस्ती है।

स्रोत
  • पोथी : चीकणा दिन ,
  • सिरजक : मदन गोपाल लढ़ा ,
  • प्रकाशक : विकास प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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