कुण हो बो

कठै सूं आयो हो

किण बिध जाचो जचायो हो बण

अेक घर बसावण री आफळ मांय

उमर गुजर जावै है जठै मिनख

बठै इण बंजर भोम माथै हळ री मूळ पकड़

दगड़ फोड़णै री हिम्मत करणवाळो बो महामानव

जरूर किणी दूजी दुनिया सूं आयो व्हैला

गांव बसावण वाळो बो मिनख

हो कुण..?

जाट, राजपूत, बामण, बाणियो हो

कै पछै हो नाई, कुंभार, मेघवाळ का सुथार?

सगळां नै भेळा करण वाळो बो मिनख

अेक दुनिया बसावण री

आफळ करणियो बो बसेवान

किणी दूजी माटी सूं बण्यो व्हैला जरूर

थापना कर दीन्ही जिकै इसी भोम री

जिकी सूं पिछाण हुवै है

सैंकड़ा-हजारां री।

स्रोत
  • पोथी : ऊरमा रा अैनांण ,
  • सिरजक : अनिल अबूझ ,
  • संपादक : हरीश बी. शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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