जद भी बारी आवै

प्रेम अर अपणायत री

तो चाणचकां

उज्जळ्या हो

जावै चित्त में

चितराम

राधा-कृष्ण री

सुंदर-सी जोड़ी रा।

जां पर नीं जाणै

कत्ता ही गीत

कथा-कहाण्यां

अर दूहा

लिख्या गाय है आज तांई

पण जद बात आवै है

ईं सूं आगै बध’र

प्रेम रा बंधण में

बंधबा की, तो

हर लड़की चावै है

श्रीराम सो पति

जाकां हिरदै में

अेक नार

माता सीता रही

कन्नै या आंतरै

सदा वांका मन रा

खूणा-खूणा में

सीताजी रो वास रैवतो

पीछै चाहै

अश्वमेध जिग्य री बात हुवै

या आपरै म्हैल री।

अश्वमेध जिग्य हुयो

जद भी सोना री

सीता माता घड़ाई

अर आपरै कनै बैठायी।

हर लुगाई नैं चाह हुवै

पति श्रीराम सो

जिणरा हिरदा में

फगत अर फगत

आपरी लुगाई रो ठायो हुवै।

ज्यूं कै

पत्नी आपरा मन-मिंदर में

खुद रै भरतार री छवि

सजायां राखै

बस इत्तो चावै

अेक भारतीय नारी।

अर इण अेक सुपना रै

अेक इच्छा रै बदळै में

निछावर कर देवै

आपरो पूरो जीवण

आपरा भाव अर अस्तित्व।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली जुलाई-सितम्बर 2021 ,
  • सिरजक : मीनाक्षी पारीक ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : मरूभूमि सोध संस्थान
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