बापू
थांकी धौवती सूं
घणौ मेळ खावै छै
म्हारा भाईजी को पंज्यो!
उघाड़ा डी'ल
थांनै जै सपना बोया
वै सपना ई तो
काट रहया छै आज
म्हारा भाईजी..!
न्हं थांकी
न्हं वांकी
दोन्यूं की आतमा नै
कद ओढ्या छै गाभा...
बापू
थांकी आतमा
अर बच्यार का उजास तूं ई
सहचन्नण छै या धरणी।