बखत रौ मोल जाणो भाया,
जो को'णी जाणौ वो बैठ्यौ रेग्यौ भाया।
बखत घणौ बलवान होवै।
राजा नै रंक बणा देवै।
बखत रौ मोल जाणौ भाया।
जदयाँ बखत आछौ होवै।
बण माँग्या मोतिडा मिल जावै।
जदयाँ बखत बुरौ होवै,
तन रा गाबा बैरी हो जावै।
बखत रौ मोल जाणौ भाया।
मनख जमारौ घड़ी-घड़ी कोणी मिलसी।
इणे अस्याँ ही मत गवाँजै
बखत निकल्या पछै ,
लकीरी पिटबा सूँ काईं भी
हाथ कोणी लाग्सी।
चालै जो मनख बखत रै सागै।
वह्नै दुख रा भूतड़ा को'णी लागै।
इण वास्तै कैवां,
बखत रौ मोल जाणौ भाया।