हाळी बीज हळौतियै जी ल्हास करौ दौ बांणी

नागौरी नारकिया जोतौ लेवौ हाथ पिरांणी

कस्सी झाड़बट पांनै करलौ सूड़ घणौ ऊजड़ में

कमर बांध लौ कूच करण नै कटक पड़ौ कांकड़ में।

देवौ बात नै हुंकारौ

आवौ मौत नै ललकारौ

घड़ी घड़ी नीं आवै बेल्यां

पाछौ मिनख जमारौ।

बेदखली री करौ परवा जमीं खेत री खड़ दौ

खरी कमाई खून पसीनौ थें बीघोड़ी मत दौ

जे कानूनां रौ जोर जतावै आज बगावत कर दौ

माटी मांगै मोल साथियां प्रांण निछावर कर दौ।

भड़कण दौ अंगारौ

विणसै चौकूंटा अंधारौ

मरण अकारथ जावै कोनीं

हिम्मत कदै हारौ

देवौ बात नै हुंकारौ

आवौ मौत नै ललकारौ

घड़ी घड़ी नीं आवै बेल्यां पाछौ मिनख जमारौ।

झाड़ बांटका झगड़ौ करसी कण-कण राड़ मचैली

देखौ तिल भर जमीं छूटै प्रांण छूटियां पैली

करसौ जे मर जाय खेत में माटी खात मांगै

दांणै दांणै हीरा निपजै बीज पांणी मांगै

लौ बाजै संख नगारौ

बैगी आरती उतारौ

जुलमी राज बदल दे करसा

थूं है कांमणगारौ।

देवौ बात नै हुंकारौ

आवौ मौत नै ललकारौ

घड़ी घड़ी नीं आवै बेल्यां

पाछौ मिनख जमारौ।

आज नहीं इंसाफ कचेड़ी कलम कसाई डाकी

कीकर कह दां गिटलै कोई साव जीवती माखी

लोह बिन लोह कदै कटियौ जहर जहर री गोळी

कांटा सूं कांटा नै काढौ बाड़ खेत सूं बोली

बम बंदूकां डंडां रौ

राज आज हथकंडां रौ

कुण जांणै कद पाप कटैला

ठग चोरां मुस्तंडां रौ।

देवौ बात नै हुंकारौ

आवौ मौत नै ललकारौ

घड़ी घड़ी नीं आवै बेल्यां

पाछौ मिनख जमारौ।

स्रोत
  • पोथी : रेवतदान चारण री टाळवी कवितावां ,
  • सिरजक : रेवतदान चारण कल्पित ,
  • संपादक : सोहनदान चारण ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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