म्हेड़ला मं उथेला मारती रै छै

बेर-बेर फेर थारी मीठी कड़वी ओळ्यूं

हरदा का कागज पै चतार्‌या थारां गीत

बांदरवाळ बण झूलै छै

प्रेम रणीवास का मेड़ा पै

पण फेर पाछा फेर्‌या थारां पंगा सूं

बिगड़-बिगड़ जावै छै बेर-बेर

उफणती लहरां का मंड्या चतराम

बाट न्हाळबो घणों अबखो काम छै

सुई का कांटा पै टंग्यो रह छै जीव

अर चत चगैरी मन माळवै

फरतो रै छै

भलाईं

ओजाख्यां की नांई जावै तूं

मन उडीकबो तो छोड़ै

थंनै तो पल्लो ईं झाड़ल्यो

जाणूं छूं

पण ईं आस को कांईं? करूं

जै दिन उठ

न्हाळै छै बाट अभागी

चकौरी की नांई

म्हारा खोटा

बगत नै डीचला पटक्या छै

म्हारा प्रेम का करम पै

तूं मलतो ,न पाछो बिछटतो

पण करम का लेखा टळै

विरह का फोड़ा छां

भुगत'र छोडणो छै

यो संसार

फेर आगला जलम में

मिलबा लेखै।

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