झड़ै पान जद

आवै सनेसो।

लहर नीं करै

किनारै सूं सगपण

आवै—

जगावै आस।

जातरा है उणरी आ—

पाछी जावण री।

रूंख साख भरै

झरयोड़ै पान पर

फेरूं उगण आळा

नूंवा पान री।

स्रोत
  • पोथी : दीठ रै पार ,
  • सिरजक : राजेश कुमार व्यास ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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