म्हूं थानै देवूं घणी बधाई आज़ादी री
थे मनाओं हरख सूं देश रो पर्व
देवो भाषण गरजो माइकां माथै
भरो देश रै लेई मरण खपण रो भाव,
मंचा री बणो थे शान
म्हे तो अबोला मिनख हां
नीं जाणा भाषणा री भाषा
म्हारै बस री बात नीं है
शहीदां री फोटुआ रै आगे फूल चढ़ावण री,
म्हानै तो फगत खेत री पानड़ी पर
हळ री कलम चलाणी आवै है।
म्हानै ठा है थारी देशभक्ति
अर थारा मंचा रा आसूं जमा साचा है।
म्हारै शरीर सूं तो पसीनो ही उपजै है।
म्हारा हाथ तो थारा आभै चूमता घरां री
चिणाई करण रै लेई ही उठे है।
म्हे भगत सिंह नैं जाणा तो कोनीं
पण फांसी तो म्हे भी टंग्या हां
कदी करजै री आजादी सारूं तो
कदी समाज सूं मिनख होवण रै लेबल सारू।
देशभक्ति काईं चीज होवै है
म्हे नीं जाणा
पण मरण-बढ़ण मांय म्हारौ नांव स्सै सूं ऊपर है!