थूं पाळ...
म्हैं नाडी री आगोर!
कदेई चौमासै आपांरै बिचाळै
जळ ई जळ
थबोळा खावती सरजीवण जूण रा
परसता चूमता
पळ ई पळ
अेक दूजा सूं जुड़िया सजोर
थूं पाळ...
म्हैं नाडी री आगोर!
कदेई उन्हाळै ऊंधी बांण
आपारै बिचाळै रेत ई रेत
थारा सूं अळगौ व्हेय
तरेड़ां सूं तिड़क्यौ पड़्यौ म्हैं
लूवां रा झपीड़ में सिकतौ-तपतौ
समाधी में जावूं परौ!
औ सोचतौ कै आपांरौ नेह
जळ छै के रेत?
अर आपारै बिचाळै
प्रीत छै के आवती जावती रूतां?