म्हैं देख्यौ

टेसण माथै बैठ्यै

फौजी री आंख्यां मांय हंसतौ गांव

मां, घर अर घरआळी

बाखळ रमती धीव

अर

आखौ देस।

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : गौरीशंकर कुलचंद्र ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा
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