आ लिछमणिया आखर बोल
आ रे गामेड़ी रुघपतिया
कळमस री पाटी रै माथै
उजळा-उजळा आखर मांड
मांड्योड़ा अखरां नै बांच!
आखर री आंख्यां नै दीसै
घर में, बारै, मन में कतौ अंधारो...
आखर लांबा हाथ करै
तिडकावै तौड़े
हियै जड़ियोड़ो ताळो!
आखर बाळ अंधारो
दप-दप दीपावै
मन-आंगण...
अे ई बे आखर
बाण्यां बोलीज्या
अे ई आखर बेद मंडीज्या
अे ई पोथी लिखियोड़ा है
बाणी अर जूण रो सार आखर!
आ लिछमणिया आखर बोल
मधिया-किसना आखर बोल!!
आखर देवै
कसी समै री
पूरबला परखीजै
आखर हाथ लियां सूं
जूण-जूण रो
आगोतर राचीजै...
आखर है जंगळ रा मंगळ
आखर में मंगळ रो राज
आमै जुगां-जुगां रो सांच!
थू थारै जुग रो सत बांच
धूं थारै जुग रो सत मांड...
आ गोमेड़ी आखर जोड़
आ सैराती आखर मांड!!