अजी मत मौसा बोलो।
तड़के ऊठ ऊठाऊँ कचरो,
सांभू टींगर, गाय
आप भंवर दोफारां तांई,
सूता रो: तण्णाय —
दोप म्हारे पर ढोळो
अजी मत॰
पीसूं, पोऊं, पांणी लाऊं,
डेढ कोस सू जाय
झूड़् घास, नीरणी नीरूं,
जोड़ी लाऊँ पाय —
आप डगरा में डोलो
अजी मत॰
कारण बिना, बड़क कर बोलो,
नहीं मान मनवार
राम। इसा के पाप कमाया,
रूठयो रह भरतार —
जवानी रो ओ झोलो
अजी मत॰
भंवर! सभा में, हाथ पकड़ कर,
लाया थे, कर कोड
ऊभी आई, आडी जासूं,
क्यां ने, करो मरोड़?
अमी में क्यूं विष घोळो
अजी मत॰
कोजी-भूंडी हू जैसी हूं,
अब के? काढयां खोड़
परण्या पहली, चेतो करता,
क्यू लाया गठ-जोड़?
अणख क्यूं छाती छोलो
अजी मत॰
इस भंवर! के म्हारे खातर,
लाया-लड़्का-लूट
भागी टूम, बोरलो मुचियो,
मोती पड़ियो टूट—
हार लाया मन्द-मोलो
अजी मत॰
कपड़ां सूं बुगचा कद भरिया,
कद मीठी मनवार?
न्हास-दौड़ कर गोडा गाल्या,
तो भी नित फटकार —
पेटिया किताक तोलो
अजी मत॰
धणक नाम कद कियो देश में,
चढ बैर्यां री लार
जिण-बल-गरब करूं सखियां में,
झीणो काजळ सार —
पीव। घर में लो ओ’लो
अजी मत॰
दुखियां रे आडा कद आया,
कर्यो किसो उपकार
किण बल-पाण आकरा-बोलो,
कहज्यो बात-विचार —
दियो कद-कर-कर पोलो
अजी मत॰
बात सुणी कामण री करड़ी,
उठी काळजे आग
आलम छोड़ काम में लागो,
फिर-घिर आयो भाग —
चाल में आयो ढोलो
अजी मत॰
हरी-भरी लहराई बाड़ी,
लागा हरचन्द द्वार
कन्त-कामणी मुलके-पुलके,
बीती बात-बिसार —
करे मनवारां लो! लो!!
अजी मत मौसा बोलो।