आवी जावु जुइतू वेनै

अबार हुदी नै आव्यो

कईक बीना बणति वैगा

शायद दंगो थई ग्यौ वैगा

कफ्यू लाग्यू वैगा

सेह्र मंए

आपड़ा आपड़ा सापरा ने बचाब्बा नौ सवाल

पोराई ग्यो वेगा

मनकं मयं

पण एक वोज वैगा जे

बीजं नै सापरा ने बचाब्बा नो फरज

पूरो करतै करतै

लुई जाण थई नै पड्यो वैगा

कणा खोंणा मएं

हम्बार्यु नै वैगां

कणैं भी

होवै! ऐवुस थ्यु वैगा।

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री राजस्थानी कवितावां ,
  • सिरजक : भविष्य दत्त ‘भविष्य’ ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादनी बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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