अगवाणी में ऊभ्या नर भूप
साल नूंयो लागग्यो जी।
सूरज उग्यो हुयो उजास
नूंयासाल में नूंई नूंई आस।
आया दन को निखर्यो रूप
साल नूंयो लागग्यो जी॥
घर आंगणिये फैळी किरण
खेत खलाणे ज्यूं दौडे हिरण।
नद्दी नाला उमग्या छ कूप
साल नूंयो लागग्यो जी॥
फसल हिलोळा लेता खेत
अन्न धन्न मूजरो देता खेत।
जाणे देवता उतर्या सद्रूप
साल नूंयो लागग्यो जी॥