चक-चक मूंग्यो घी की दाळ।

गंगा जमना गौरस ढाळ।

दूध्या गास्या दे हिन्दवाणी।

टाबर कूदे नौ-नौ ताळ॥

म्हारो भारत छै गोपाळ॥

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : मोहन मण्डेला ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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