दिनूंगै

जद निकळूं

घर रै बारै

तौ घेर लेवै म्हनै

मारग रा सरणाटा,

देख म्हनै

सगळा बदळ लेवै

रस्ता।

क्यूं,

आखिर म्हैं

कांई करियौ किणी रौ?

अच्छा...

अबै नीं बांटूं

भेळौ करियोड़ौ

अनुभव

नीं करूं किणी सूं

मन री बात।

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : वाजिद हसन काजी ,
  • प्रकाशक : अपरंच प्रकासण
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