रेवै कुदरत घणी उदार
म्हांरै कुदरत मेहरबान
देवै कळी-कळी नैं दान
लावै-ल्यावै मोजांळी बौछाड़
टपकै बागां मधु अपार
रेवै बागां भंवर गुंजाट
आवै जद मनभाणों रितुराय
आई बसंती बहार...॥
आवै म्हांरै ओ घर-बार
म्हांरै आवै ओ घर-बार
करावै सगळा-ओ सिंणगार
हिवड़ै-हिवड़ै में हुलसाव
छिड़जै घर-घर हेज री तान
बणादे सुरग धरा नैं आव
आयोड़ो मनभाणों रितुराय...
आई बसंती बहार...॥
म्हांरी रितुवां रो सिरताज
ओ म्हांरी रितुवां रो सिरदार
रैयो अंग-अंग रंग में राच
अैड़ी माघ री मस्त बहार
कोरै जीणै सूं नीं सार
रूड़ो जीवण है रितुराज
अैड़ो म्हांरो मनभाणों रितुराय...
आई बसंती बहार...॥
म्हांरो चटकीलो रितुराज
आवै नखराळो मधुराज
राखै फागणियै सूं पियार
रेवै हरख घणों नर-नार
मनावां मौज्यांळो त्युंहार
पुरावां अणमोली मनवार
आवै जद मनभावण रितुराय
आई बसंती बहार...॥
बसंती पैरां जद म्हे पाग
मिळ-मिळ रम रैया ईं सूं फाग
ढुळ रेयौ सेजां मद विहार
सगळै ईरा म्हे मोहताज
माघ री उमड़ै मस्त-बहार
बागां पंख-पंखेरू गाण
सुवाणो माघ-फाग रितुराय
आई बसंती बहार...॥
रेवै कुदरत घणी उदार
देवै कळी-कळी दान
लावै मौजांळी बौछाड़
आवै जद मनभाणों रितुराय
आवै म्हांरै ओ घरबार
म्हांरी रितुवां रो सरताज
आयोड़ो नखराळो मधुराज
अैड़ो म्हांरो मनभावण रितुराय
आई बसंती बहार...॥