आई बसँती बहार आसा सूं मुलाकात... हेत जीवण-बेल कर काढ्यो जीवण कोझो... करड़-काबरो मिनखापो कुण जाणै ही... लाठी मती घटाज्यो देस रो माँण... मिनखां रो लोई बैवावै है... ऊंठ खोड़ावै गधा डमीजै पेटी पिलाण सै टूट रैया साँच नै आँच कोनीं