साज नैं सिणगार सगळा

राज! आवो सा!

घाघरी है घेर वाळी

कांचळी कंचन उजाळी

मोळिया रो मोवनो

पल्लो उडावो, सा!

साज नैं सिणगार सगळा

राज! आवो, सा!

आँखियां में

मेघ काजळ!

टीकियाँ

बिजळी पळा-पळ!

भाल में आदीत रो

टीको सजावो, सा!

साज नैं सिणगार सगळा

राज! आवो, सा!

चांनणी सूं

हास लेता।

पवनियै रो

साँस लेता।

पल्लवां सूं

गीत गा-गा नैं सुणावो, सा!

साज नैं सिणगार सगळा

राज! आवो, सा!

प्‌रोडिया री

पोत लाली

ओस मद री

पी’र प्याली।

पवनियै री वहल चढ़िया

आज आवौ, सा!

साज नैं सिणगार सगळा

राज आवो, सा!

स्रोत
  • पोथी : सगळां री पीड़ा-मेघ ,
  • सिरजक : नैनमल जैन ,
  • प्रकाशक : कला प्रकासण, जालोर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
जुड़्योड़ा विसै