अड़वो ऊभ्यो खेत में
सोनो निपजै रेत में
खबरदार! हरियाळी खेती कै कुण नजर लगावै
रात अंधेरी बाड़ तोड ओ कुण छानै सी आवै?
ऊजड़ चालै रै
हरी-भरी खेती पर घूमर घालै रै।
अडवो ऊभ्यो खेत में
चांदी निपजै रेत में
हाथ गंडासी जेळी सूड़ करावत करसो हरस्यो
डब-डब नैणां आस उळीची जद बादळियो बरस्यो
खेत सुधारै रै
संकडी सींवां रेवड़ कूण उतारै रै।
अडवो ऊभ्यो खेत में
रूपो निपजै रेत में
चावड़-धावड़ चोक कर्यो आसूदी धरती बाई
दिन भर कर्यो निनाण खेत मे दोन्यू लोग-लुगाई
अड़वो ललकारै
ओ अंगद रो पाव’क कूण उखाड़ै रै।
अडवो ऊभ्यो खेत में
सोनो निपजै रेत में
म्हारौ करसौ कामणगारौ हाथां मिनख बणावै
भूप भगीरथ अडवो सारै पुळ रो कस्ट मिटानै
रात रूखाळ रै
पाणो मांड्या सडया’क पंथ उजाळै र।
अडवो ऊभ्यो खेत में
चांदी निपज रेत म
काटी खींप गूंथळा काढ्या लांबी लकड़्यां लीनी
ऊपर-नीचै बांध सीस काळी हांडी धर दीनी
जीवण जागै रै
अड़वो अड़ंता देस डागरा भागै रै।