जुगां सूं आभै री थळकण माथै

तहियाळ तिरसो उडीकतो रयो

जदकै म्हारे सामै धापोड़ा लोग

गाडीणां अर पखालां भर ले ग्या

आभौ नीं भिदयो तो नीं भिदयो

आज दिन ऊगै री बात है

आभौ खुद बारै आयो अर बोल्यो

म्हन ठा है थारी तिरस रो

पण अमरत पीवण सारूं

धीजौ चाइजै है दिकरा!

वा आपरी लाडेसर काळयांण नै कयो

म्हारी पूजा रै कळसे रो पाणी

इण तिरसा बटाऊ नै पा दै।

जोजन बीत्या उडीकतां

पण आज सुंवार री बात है

आभै रै कळसे रो पाणी

बुक मांड' पियो म्हें

हमेस रे वास्ते तिरपत हुओ म्हें।

स्रोत
  • सिरजक : रेवंत दान बारहठ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी